वेद
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वेद | |
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जानकारी | |
धर्म | हिन्दु धर्म |
भाषा | वैदिक संस्कृत |
पद्य | २०,३७९ मन्त्रसभ |
वेद विश्वक सभ धर्म ग्रन्थसभक पिता छी । वेद सँ ही साभार करि अन्य धर्मशास्त्रक पुस्तकसभ निर्माण कएल गेल अछि । वेद हिन्दूसभक सभसँ पैग ग्रन्थ छी । वेद शब्द संस्कृत भाषाक "विद्" धातु सँ बनल अछि जेकर अर्थ अछि : जान्नाइ, ज्ञान इत्यादि । वेद हिन्दू धर्मक प्राचीन पवित्र ग्रन्थसभक नाम छी । वेदसभक श्रुति सेहो कहल जाइत् अछि, किया की पहिले मुद्रणक व्यवस्था नै भेलासँ एकर एक दोसर सँ सुनिके सम्झना राखल गेल एही प्रकार वेद प्राचीन भारतक वैदिक कालक वाचिक/श्रुति = श्रवण परम्पराक अनुपम कृति छी जे पीढी दर पीढी चार-पाँच हजार वर्ष सँ चलि आएल रहल अछि। वेद ही हिन्दू धर्मक सर्वोच्च आ सर्वोपरि धर्मग्रन्थ छी ।
वेदसभक महत्व
[सम्पादन करी]वैदिक वाङ्मयक शास्त्रीय स्वरूप
[सम्पादन करी]कर्मकाण्डमे वर्गीकरण
[सम्पादन करी]वैदिक स्वर प्रक्रिया
[सम्पादन करी]चार वेद
[सम्पादन करी]चार उपवेद
[सम्पादन करी]चार वेदक चार उपवेद मानल जाइत् अछि:
- धनुर्वेद,
- गान्धर्ववेद,
- आयुर्वेद, आ
- अर्थवेद ।
चार भाग
[सम्पादन करी]वेदसभक विभाजन
[सम्पादन करी]याज्ञिक दृष्टिः
[सम्पादन करी]प्रायोगिक दृष्टिः
[सम्पादन करी]साहित्यिक दृष्टि
[सम्पादन करी]वेदक अंग आ उपांग
[सम्पादन करी]सन्दर्भ सामग्रीसभ
[सम्पादन करी]बाह्य जडीसभ
[सम्पादन करी]एहो सभ देखी
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